दीवानगी-ऐ-इश्क के बाद आ ही गया होश ...
और होश भी वो होश की दीवाना बना दे
हम खून-ऐ-जिगर पी के चले जायेंगे साकी
ले शीशा-ऐ दिल तोड़ के पैमाना बना दे ....
उनके रुखसार पे बहते हुए आंसू तौबा ,
हमने शोलों पे मचलते हुए शबनम देखे
जब से उन्हें ये मालूम हुआ कि हम उनकी अदा पे मरते हैं ,
वो हर रोज़ बड़ी अदा से अपनी अदा बदलते हैं .....
the better ones......
मुझको अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा ,
कोइ तुझसा हो पहले फिर नाम भी तुझसा रखे
मेहरबान हो के बुला लो चाहो जिस वक्त ,
मैं गया वक्त नहीं हूँ , जो लौट के आ भी न सकूं
सहरा में मेरे हाल पे कोई भी ना रोया ,
गर फूट के रोया ,वो मेरे पाँव का छाला था
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